Friday, September 28, 2012

क्योंकि आज "मेड" नहीं आई.



कल रात को जब उसे चुपके चुपके रोते हुए सोते देखा
 तो दिल में कुछ तड़क सा गया था.  
सोचा कि आज फुर्सत से बेटी के साथ कुछ पल बिताउंगी,
(रोज़ तो उसके कमरे में आते ही त्योरियां चढ़ा लेती हूँ)
आज किसी काम से कहीं बाहर नहीं जाउंगी.
मीटिंग नहीं, और ना ही ई-मेल्स में समय बिताऊँगी 

साथ साथ कोई खेल खेलेंगे, और शाम को पार्क में झूला झूल कर आयेंगे   
प्यार से निवाले गिन कर अपने हाथों से उसे खिलाऊँगी
ना-नुकर तो करेगी मगर मैं हार थोड़े ही मान जाऊँगी!
tinkle tinkle lillistar सुनाएगी तो ताली बजाकर उसे गोद में भर लूँगी
और जब johnny johnny बोलेगी तो  "Yes Papa" मैं चिल्लाऊँगी

दोपहर को कोई भूली बिसरी कहानी उसे सुनाने के बहाने 
बचपन को एक कोने से निकाल कर तकिये पर साथ लिटाऊंगी
हर शब्द को पकड़ कर यादों में बसाना उसे आता है
और हर शब्द को भूलने का स्वाँग मैं करती ही चली जाऊँगी
कहानी फिर वो मुझे सुनाएगी और उसका सर मैं सहलाऊँगी
सो जाएगी जब बाँह का तकिया लगाकर, मैं भी सो ही जाऊँगी

शाम को पानी के गिलास के साथ जगाने की कोशिश करुँगी 
और "जल्दी तैयार हो जाओ" कहकर घुमाने का लालच दूँगी
फिर पार्क तक जाने में दौड़ लगाएंगे और 
"मैं फर्स्ट आ गयी" सुनने के लिए उसे आगे निकलने दूँगी. 
लेकिन झूला झूलने से डरने लगी है- उसका डर कैसे भगाऊंगी?

घूम कर वापस आयेंगे तो साथ में मिलकर टीवी देखेंगे 
गाने और न्यूज़ की जंग में उसको ही जिताऊँगी
फिर खाना खिलाकर, Night-Suit  "टॉम एंड जेर्री" वाला पहनाकर
एक नयी कहानी या कोई पुरानी ही सुनाकर gale लगाकर सुलाऊँगी 

मगर, सुबह उठते ही फ़ोन पर खबर मिली कि आज "मेड" नहीं आएगी.